दिवाली आने में अब लगभग एक हफ्ते से भी कम का टाइम बचा है और अभी लोगों के मन में इस बात को लेकर कंफ्यूजन है की दिवाली किस डेट को है। कुछ लोग बता रहे हैं की दिवाली 31 तारीख को है तो कुछ बता रहे हैं कि 31 तारीख को। आज हम इस आर्टिकल में आप दिवाली की कंफर्म डेट बताएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार दीवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस वर्ष दीवाली की तारीख को लेकर कई लोग संशय में हैं कि इसे 31 अक्टूबर को मनाना उचित है या 1 नवंबर को। ज्योतिषीय विद्वानों की विभिन्न राय होने से यह भ्रम बढ़ गया है। काशी और उज्जैन के कुछ विद्वान 31 अक्टूबर को ही दीवाली मनाने का सुझाव दे रहे हैं जबकि उत्तराखंड के कुछ विद्वान इसे 1 नवंबर को मनाने के पक्ष में हैं।
Diwali Kab Hai?
ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा के अनुसार दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। उनका कहना है कि इस दिन दोपहर 3:12 बजे तक चतुर्दशी है और इसके बाद अमावस्या आरंभ होगी जो अगले दिन शाम 5:15 बजे तक रहेगी। चित्रा नक्षत्र भी 31 अक्टूबर की रात 1:04 बजे तक है इसलिए उसी दिन दीवाली मनाने का उपयुक्त समय होगा। 29 अक्टूबर को त्रयोदशी का आरंभ सुबह 11 बजे से हो रहा है जो अगले दिन दोपहर 1:10 बजे तक है। इस दिन धनतेरस और शिवरात्रि के पर्व भी मनाए जाएंगे। मान्यता है कि इस दिन सरसों या करंज तेल का दीपक जलाने से घर में अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
30 अक्टूबर को नर्क चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। यह तिथि छोटी दीवाली के रूप में भी प्रसिद्ध है जिसमें कामेश्वरी जयंती का पूजन किया जाता है। इस दिन घरों में विशेष साफ-सफाई की जाती है और अगले दिन के लिए लक्ष्मी पूजन की तैयारी की जाती है।
लक्ष्मी पूजन के दौरान सबसे पहले घर की पूरी सफाई की जाती है और पूजा स्थल को सजाया जाता है। लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति को स्थापित कर धूप-दीप जलाकर उनका पूजन किया जाता है। फल, फूल और मिठाई चढ़ाकर लक्ष्मी और गणेश मंत्रों का जाप किया जाता है। पूजा का समापन आरती के साथ होता है और परिवारजन मिलकर मिठाई बांटते हैं। मान्यता है कि इस पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है और व्यवसाय में वृद्धि होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली के लिए अमावस्या का प्रदोष काल में होना आवश्यक है। इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे से शुरू होगी जो 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे तक रहेगी। दीवाली पर प्रदोष काल का होना जरूरी माना गया है इसलिए अधिकतर विद्वान इस पर्व को 31 अक्टूबर को मनाने का सुझाव दे रहे हैं। धर्म शास्त्रों के अनुसार अमावस्या का प्रदोष व्यापिनी होना इसे मनाने के दिन को निर्धारित करता है।
हाल ही में बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में भी दिवाली की तिथि को लेकर चर्चा हुई जिसमें काशी और जयपुर के विद्वानों ने भी 31 अक्टूबर को दीवाली मनाने का समर्थन किया। उनके अनुसार प्रदोष काल के दौरान अमावस्या का होना मुख्य आवश्यकता है जो इस साल 31 अक्टूबर को है। वहीं कुछ पंचांगकर्ता इसे 1 नवंबर को मनाने का भी सुझाव दे रहे हैं।
धनतेरस छोटी दिवाली गोवर्द्धन और भाई दूज कब है
इस साल दिवाली का उत्सव 29 अक्टूबर से धनतेरस के साथ शुरू होगा जब लोग सोना-चांदी और झाड़ू खरीदना शुभ मानते हैं। इसके बाद 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली और 31 अक्टूबर को बड़ी दिवाली मनाई जाएगी। फिर 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी और 3 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा।