Rajasthan 6th To 12th Class Syllabus Change: राजस्थान के स्कूलों में पढ़ाई का तरीका जल्द ही नया रंग लेने वाला है। राज्य सरकार ने कक्षा 6 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव की योजना बनाई है जिसके तहत लगभग 20% सिलेबस को अपडेट किया जाएगा। इस बदलाव का मकसद विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीक, नवाचार और समय के हिसाब से जरूरी कौशलों से जोड़ना है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), उद्यमिता, डिजिटल साक्षरता और साइबर जागरूकता जैसे विषयों को सिलेबस में शामिल किया जाएगा।
आज का युग तेजी से बदल रहा है। टेक्नोलॉजी और नए करियर विकल्पों ने शिक्षा के पारंपरिक तरीकों को चुनौती दी है। राजस्थान सरकार चाहती है कि राज्य के विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। इसलिए पाठ्यक्रम में आधुनिक विषयों को शामिल करके बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने की योजना है। यह बदलाव न केवल सरकारी स्कूलों, बल्कि निजी स्कूलों और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (माशिबो) से जुड़े विद्यार्थियों पर भी लागू होगा। राज्य में करीब 1.96 करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं जिनमें 99.94 लाख सरकारी स्कूलों में और 90 लाख निजी स्कूलों में हैं।
नया सिलेबस: क्या-क्या होगा खास?
नए पाठ्यक्रम में कई रोमांचक और समय के अनुकूल विषय जोड़े जा रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): बच्चों को AI की बुनियादी समझ दी जाएगी ताकि वे इस तकनीक के उपयोग और महत्व को जान सकें।
- उद्यमिता: विद्यार्थियों में बिजनेस और स्टार्टअप की सोच विकसित करने के लिए उद्यमिता पर फोकस होगा।
- डिजिटल और साइबर जागरूकता: इंटरनेट की दुनिया में सुरक्षित रहने और डिजिटल टूल्स का सही उपयोग सीखने पर जोर दिया जाएगा।
- लोक कल्याण और संस्कृति: राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।
- आईटी और कंप्यूटर ज्ञान: तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बेसिक कोडिंग और सॉफ्टवेयर स्किल्स पर ध्यान होगा।
ये बदलाव 15-20% नए टॉपिक्स के रूप में सिलेबस में शामिल होंगे जबकि बाकी पाठ्यक्रम को मौजूदा NCERT किताबों के आधार पर अपडेट किया जाएगा। NCERT की किताबें पहले से ही गुणवत्तापूर्ण सामग्री प्रदान करती हैं लेकिन इनमें कुछ नए और स्थानीय स्तर के नवाचार जोड़े जाएंगे।
राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम समिति: बदलाव का नेतृत्व
इस बड़े बदलाव को अमल में लाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम समिति बनाई है। इस समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर कैलाश सोडानी हैं जो वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। समिति में शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। यह समिति न केवल सिलेबस को डिजाइन कर रही है, बल्कि नई किताबें तैयार करने के लिए 100 लेखकों की एक सूची भी बना चुकी है। इन लेखकों को उदयपुर में प्रशिक्षण देकर किताबों का कंटेंट तैयार करवाया जाएगा।
चुनौतियां: समय और संसाधन
हालांकि योजना बहुत अच्छी है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। समिति को जुलाई 2025 तक नई किताबें छपवाकर स्कूलों तक पहुंचानी हैं लेकिन काम की गति अभी धीमी है। किताबों के लेखन संपादन और छपाई में समय लग सकता है। इसके अलावा, शिक्षकों को नए सिलेबस के हिसाब से प्रशिक्षण देना भी जरूरी होगा। फिर भी समिति पूरी कोशिश कर रही है कि नया सत्र बिना किसी देरी के शुरू हो।
छोटी कक्षाओं के लिए भी बदलाव
कक्षा 6 से 12वीं के अलावा कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में भी 7% बदलाव की योजना है। इन कक्षाओं में बुनियादी डिजिटल साक्षरता और स्थानीय संस्कृति से जुड़े विषयों को शामिल किया जाएगा। यह कदम छोटी उम्र से ही बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए फायदे
नया सिलेबस विद्यार्थियों को न केवल किताबी ज्ञान देगा बल्कि उन्हें प्रैक्टिकल स्किल्स भी सिखाएगा। उदाहरण के लिए AI और उद्यमिता जैसे विषय बच्चों को भविष्य में नौकरी या बिजनेस शुरू करने में मदद करेंगे। शिक्षकों के लिए भी यह बदलाव एक मौका है कि वे नई शिक्षण तकनीकों को अपनाएं और बच्चों को रचनात्मक तरीके से पढ़ाएं।